मेरे प्यारे बेसिक के बच्चे

मेरे प्यारे बेसिक के बच्चे
कितने प्यारे कितने अच्छे ।         
कहना मेरा सब मानते हैं
अनुशासन में रहना जानते हैं।।

बेशक कपड़े पहनने का तरीका न आता,
ना आता खुद को संवारना।
पर गणित और विज्ञान विषय में
कम ना किसी को आंकना ।।                   

खेलकूद हो या रंगोली बनाना,   
हैं सभी में नंबर वन।।     
विद्यालय में पेड़ लगाना
या हो क्यारी बनाना,

विज्ञान और गणित में,
हो कोई प्रोजेक्ट बनाना।
हर काम वह मेहनत से करते हैं,
विभिन्न प्रतिभाओं के हैं धनी यह बच्चे। ।             

कितने प्यारे कितने सच्चे,
यह हैं बेसिक के बच्चे।।             

उठो जागो ए शिक्षक समाज , 
करो ना अब कोई फरियाद ,
बेशक सिस्टम से हों कई शिकायतें करना ,               
लेकिन अच्छी शिक्षा देकर दिशाहीन समाज को सुधारना,                   

क्योंकि हम शिक्षक ही तो राष्ट्र निर्माता हैं।
हम पर विश्वास करके ही बच्चा विद्यालय आता है।
कहीं किसी बच्चे का भविष्य खराब ना हो
नकल और जुगाड़ के सहारे आगे बढ़ने का आदी ना हो।

रोक लो उन्हें अब,
सीख देनी है मेहनत करने की।।
परीक्षा का डटकर सामना करने की
यह कहकर कि तुम कर सकते हो

बस प्रयास करो और प्रयास करो ,
गलतियाँ जब तक हों तुम सुधार करो ,
एक बार नहीं कई बार करो। 
यह है बेसिक के बच्चे जो मेहनत से नहीं है डरते ।

कितने प्यारे कितने सच्चे,
ये हैं बेसिक के बच्चे।।   

रचयिता
अर्चना दुबे,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय खड़गपुर,
विकास खण्ड-हरपालपुर,
जनपद-हरदोई।

Comments

Total Pageviews