141/2025, बाल कहानी- 02 सितम्बर
बाल कहानी - लापरवाही का नतीजा
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रोशनी कक्षा 8 की छात्रा है। वह पढ़ने में बहुत होशियार थी। घर-परिवार में बहुत ही लाडली थी। सभी उसे बहुत प्यार करते थे। परीक्षा में हमेशा वह प्रथम आती थी, इसीलिए सभी अध्यापक उसे बहुत स्नेह करते थे।
रोशनी के पापा और मम्मी दोनों अध्यापक थे, फिर भी मम्मी घर का सारा काम सँभालती थी।
रोशनी की एक गन्दी आदत थी कि वह चीजों को सही जगह पर नहीं रखती थी। उसकी माँ हमेशा उसे समझाती कि, "अपनी सभी चीजों को सँभालकर रखा करें।" वह कहती कि, "जब हम चीजों को सही जगह पर रखते हैं तो वह हमें आसानी से मिल जाते हैं।" पर वह उनकी एक न सुनती। विद्यालय से आकर वह अपने सामान को इधर-उधर बिखेर देती थी। उन्हें सही जगह पर नहीं रखती।
एक दिन सुबह मम्मी सबके लिए नाश्ता बना रही थी और रोशनी की स्कूल की कॉपी नहीं मिल रही थी। मम्मी बहुत ढूँढती है, तब जाकर रोशनी की कॉपी मिलती है लेकिन आज मम्मी को स्कूल के लिए देर हो जाती है। स्कूल से घर वापस आकर जैसे ही रोशनी समझाने के लिए प्रयास करतीं हैं तभी दादी उन्हें रोक देती हैं। वे कहती हैं कि, "बच्चों की तो आदत होती है, तुम बेकार ही गुस्सा कर रही हो।" रोशनी माँ की बात को अनसुना करके खेलने चली जाती है। रोशनी की आदत में कोई बदलाव नहीं आता है।
एक दिन शाम को दादी रोशनी के कमरे में जाती है, जैसे ही वह कमरे में प्रवेश करती है, उनका पैर खिलौने पर पड़ जाता है और वे गिर पड़ती है। उनकी आवाज सुनकर मम्मी दौड़ कर आती है उन्हें अस्पताल ले जाती है, जहाँ पता चलता है कि पैर की हड्डी टूट गयी है। दादी को अस्पताल में भर्ती कराया गया। दादी को अस्पताल में देखकर रोशनी रो पड़ती है। उसे अपनी गलती का एहसास होता है। उसकी आँखों से आँसू बहने लगते हैं। वह अपनी गलती मे लिए माँ से माफी माँगती है और कहती है कि, "आज से वह अपने सामान को सही जगह पर रखेगी और कोई लापरवाही नहीं करेगी।
#संस्कार_सन्देश -
हमें अपनी चीजों को सही जगह पर रखना चाहिए और लापरवाही नहीं करना चाहिए।
कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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