शिक्षक दिवस

लघुता त्याग गुरू बन सबको 

जीवन पाठ पढ़ाते।

आज विषम स्थिति में गुरू के

ज्ञान में प्रश्न उठाते।

उँगली पकड़ लेखनी चलती

बाँह पकड़ ममतामयी बनती

कान पकड़ कर सीख बताती

अपनेपन से पास बिठाती

काजल, कंघी, बटन लगाती

बैठने का सलीका सिखलाती

घर जाकर स्कूल बुलाती

कॉपी, पेंसिल लोभ दिखाती

टॉफी उनको रोज खिलाती

आँसू आएँ तो माँ बनकर 

हिम्मत रोज सिखाते।

आज विषम स्थिति में गुरू के

ज्ञान में प्रश्न उठाते।


अच्छा बुरा ज़माने भर का

बोझ हटाए जो हो मन का

नज़र पारखी अपनेपन की

रक्षा करना सिखाए तन की

बुरी  दृष्टि  कैसे  पहचानें 

खुद को कमजोर कभी न मानें 

हर मुश्किल में हरदम डटकर

शिक्षा को हथियार बनाएँ

बेटी पढ़ो, बढ़ो  तुम आगे 

निशदिन यही सिखाते।

आज विषम स्थिति में गुरू के 

ज्ञान पर प्रश्न उठाते।


रचयिता

रीता गुप्ता,

सहायक अध्यापक,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय कलेक्टर पुरवा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।



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