149/2025, बाल कहानी- 13 सितम्बर


बाल कहानी - गहरी मित्रता
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रामू और श्यामू एक छोटे से गाँव में रहते थे। वे दोनों बचपन से घनिष्ठ मित्र थे। वे साथ-साथ स्कूल जाते थे और साथ-साथ ही खेलते थे। वे दोनों मन लगाकर पढ़ाई भी करते थे। 
वे वर्ष पर पढ़ाई करते थे और जब परीक्षा का समय आता तो दोनों मिलकर कठिन परिश्रम करते थे। परीक्षा में रामू प्रथम और श्याम द्वितीय स्थान प्राप्त करता था। यही क्रम चलता रहा और वे कक्षा आठ में आ गये।
कक्षा के सारे सहपाठी उनसे ईर्ष्या करने लगे। उन्होंने सोचा कि, "जब तक यह दोनों मित्र हैं, तब-तक यह दोनों एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे। कुछ ऐसा किया जाए, जिससे यह दोनों आपस में शत्रु बन जाएँ।" 
इसके लिए उन्होंने एक तरकीब अपनायी और पहले कक्षा का एक सहपाठी रामू के पास गया और बोला कि, "रामू! तुम तो बहुत मेहनत करते हो" लेकिन. श्यामू ने कहा कि, "रामू! मेरी वजह से ही प्रथम आता है, वो पढ़ने में ठीक नहीं है। मैं ही उसकी मदद करता हूँ, तभी वह प्रथम आता है।" यह सुनकर रामू को बहुत बुरा लगा। परन्तु वह बिना कुछ कहे वहाँ से चला गया। 
अब वही सहपाठी श्यामू के पास गया और यही बात उसने श्यामू से भी कही कि राम कह रहा था श्यामू का कक्षा में जो द्वितीय स्थान आता है, वह मेरी वजह से आता है, वरना श्यामू फेल हो जाएगा।" इतनी सी बात सुनकर श्यामू आग बबूला हो गया और गुस्से में भरकर राम से झगड़ा करने पहुँच गया। बिना कुछ सोचे-समझे उसने रामू को बहुत भला-बुरा कहा और अन्त में दोनों का झगड़ा हो गया। अपनी वर्षों की दोस्ती को उन्होंने पल-भर में तोड़ दिया। जब वार्षिक परीक्षा का समय आया तो रामू और श्यामू दोनों ने ही अपनी कक्षा में स्थान खो दिया था। 
समय बीता और उनको अपनी गलती का एहसास हुआ। श्यामू ने रामू के पास जाकर क्षमा माँगी और रामू ने भी अपने मित्र को गले लगा लिया। दोनों की आँखों से आँसू बहने लगे।

#संस्कार_सन्देश - 
हमें दूसरों की बातों में नहीं आना चाहिए और अपने मित्र पर अटूट विश्वास बनाये रखना चाहिए।

कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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