161/2025, बाल कहानी- 29 सितम्बर


बाल कहानी- मोरनी का अण्डा
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एक सुबह विद्यालय में बच्चों को जमीन पर मोरनी का अण्डा दिखाई दिया। अण्डा देखकर सभी बच्चे बहुत खुश हुए और दौड़कर अपनी शिक्षिका से बोले, “मैडम! आज हमारे स्कूल में मोरनी का अण्डा मिला है!”
शिक्षिका ने मुस्कुराते हुए कहा, “अच्छा! ... बच्चों! किसी भी अण्डे को नुकसान मत पहुँचाना।”
सभी ने जवाब दिया, “ठीक है मैडम!”
लंच के समय सबसे शरारती बच्चा कपिल चुपके से अण्डे को छू गया। बच्चों को गुस्सा आया और वे उसे पकड़कर शिक्षिका के पास ले गये।
“मैडम! कपिल ने अण्डा छू लिया। अब इसमें से बच्चा नहीं निकलेगा? अण्डा 'बराण्डा' हो गया!”
शिक्षिका ने पूछा, “बराण्डा! इसका क्या मतलब है?”
बच्चों ने कहा, “हमारी दादी कहती हैं कि अगर अण्डा छू लिया जाए तो उसमें से बच्चा नहीं निकलता। वह 'बराण्डा' हो जाता है।”
शिक्षिका ने समझाया, “बच्चों! यह सिर्फ अन्धविश्वास है। अण्डा छूने से ऐसा कुछ नहीं होता, बस हमें उसे तोड़ना नहीं चाहिए।”
तभी रिंकी बोली, “लेकिन मैडम! मेरी दादी भी ऐसा ही कहती हैं।”
शिक्षिका ने कहा, “तो चलो देखते हैं। कुछ दिन तक इस अण्डे पर नज़र रखो। अगर बच्चा बाहर आया, तो साबित हो जाएगा कि यह सिर्फ़ अन्धविश्वास है।”
बच्चों ने कहा, “ठीक है मैडम!”
उन्होंने रोज अण्डे को ध्यान से देखा।
कुछ दिन बाद मोरनी के अण्डे से नन्हा मोर का बच्चा निकल आया। बच्चे खुशी से चिल्ला उठे। शिक्षिका ने मुस्कुराकर कहा, “देखा! अण्डा छूने से कुछ नहीं होता। सच जाने बिना किसी अन्धविश्वास पर भरोसा नहीं करना चाहिए।”

 #संस्कार_सन्देश - 
हमें कभी अन्धविश्वास में नहीं पड़ना चाहिए, सच्चाई पर ही विश्वास करना चाहिए।

कहानीकार-
#रुखसार_परवीन (स०अ०)
संविलयन विद्यालय गजपतिपुर
बहराइच

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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