माई
हिंदी हम सबकी माई है,
ममता की शहनाई है।
हृदय में बसती है तू हमारे,
तू हम सबकी परछाई है।
रस छंद अलंकारों से,
रूप तू अपना सजाई है।
हर भाव समाया है तुझमें,
तू भावों की रहनुमाई है।
कभी रूठी कभी मान गई,
कभी दुल्हन सी शरमाई है।
दिलों से दिल के रिश्ते जोड़े,
जब जब तू होंठों पे आई है।
सरस सहज है स्वभाव तेरा,
तू सबको समझ में आई है।
सदियों से तुझको पूजा है,
तू हम सबकी देवी माई है।
माई अपने ही घर में ही
जाने क्यों सकुचाई है।
अपनों के ही बीच जाने,
क्यों कर दी गई पराई है।
मिलेगा कब सम्मान मुझे,
सपना यही सजाई है।
फिर से आज उम्मीद लगा
हम सबको पास बुलाई है।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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