156/2024, बाल कहानी- 02 सितम्बर
बाल कहानी- जंगल का मोर
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एक घने हरे-भरे जंगल में एक मोर रहता था। वह बहुत ही सुन्दर और रोचक नृत्य करता था। सभी लोग जो वहाँ घूमने आते थे, वे मोर का नृत्य देखकर बहुत प्रसन्न होते थे। मोर घण्टों नृत्य करता और सभी लोग टकटकी लगाये उसे देखते रहते। आसमान में जब काले घनघोर बादल छाते, तब मोर रोज नाचता और सभी हल्की-हल्की फुहारों का आनन्द नृत्य के साथ लेते। सभी उस पल को अपने-अपने मोबाइलों में कैद कर लेते। इस तरह बहुत दिन बीतते गये।
एक बार बहुत से सैलानी उस जंगल में घूमने आये। उन्होंने दिन-भर मोर का इन्तजार किया किन्तु मोर न दिखाई दिया। सभी लोग अनमने और चिन्तित हो गये। असल में लोग मोर का नृत्य देखने ही जंगल में अपने परिवार सहित आते थे। बच्चों को मोर का नृत्य देखने में बड़ा आनन्द आता था। वह नृत्य देखकर खुशी से उछलते और झूमने लगते। अब सभी बच्चे निराश होकर अपने-अपने पापा से पूछते कि-, "पापा! मोर कहाँ गया..क्या किसी जंगली जानवर ने उसे खा तो नहीं लिया या फिर हो सकता है कि वह बीमार हो।" बच्चों की बातें सुनकर सभी ने जंगल छान मारा, लेकिन मोर का कोई पता न लगा। अन्त में सभी निराश होकर अपने-अपने घर लौट गये।
वहीं पास के गाँव में रहने वाला सुजीत नाम का लड़का मोर की तलाश में जंगल में घूम रहा था। घने जंगल और नदी के पार एक पहाड़ी थी, जिसमें एक बड़ी गुफा थी। उस गुफा में कोई नहीं जाता था। सुजीत मोर को खोजता हुआ उसी गुफा के पास जा पहुँचा। तभी उसे किसी के कराहने की आवाज आयी। वह तुरन्त गुफा के भीतर गया और देखा कि वही मोर पड़ा हुआ कराह रहा है। उसके शरीर पर अनेक घाव थे। जैसे ही सुजीत ने उसे घायल अवस्था में देखा, वह तुरन्त गुफा के बाहर आया और चिल्लाया-, "कोई है.. कोई है?"
तभी उधर घूम रहे कुछ लोगों का ध्यान उस ओर गया। वह तुरन्त वहाँ आये तो सुजीत ने बताया कि -, "मोर यहाँ है। उसके शरीर पर अनेक घाव हैं। उसे इलाज की आवश्यकता है।" लोग ऊपर चढ़े और सुजीत उन्हें गुफा के अन्दर ले गया। लोगों ने तुरन्त मोर को उठाया और सुजीत को उसके घर छोड़कर मोर को अस्पताल ले गये। कुछ ही दिनों में मोर बिल्कुल स्वस्थ हो गया और उन लोगों की मदद से उस जंगल में वापस आ गया। तब अन्य मोरों ने उसको घेर लिया। अब मोर फिर पहले की तरह नाचने लगा और सभी को अपने नृत्य से प्रसन्न करने लगा।
संस्कार सन्देश-
हमें पशु-पक्षियों और जानवरों की सदैव रक्षा करना चाहिए।
लेखक-
जुगल किशोर त्रिपाठी
प्रा० वि० बम्हौरी (कम्पोजिट)
मऊरानीपुर, झाँसी (उ०प्र०)
कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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