हिंदी दिवस
हमारी हिन्दी भाषा की मौसी
तमिल, तेलगू, सिंघल, कन्नड़, आसमिया, बँगला भाषा।
संस्कृत की बहने, हिंदी की मौसी हैं, नाता खासा।।
हिंदी भाषा की बहनें
राजस्थानी, गुजराती, पंजाबी, ब्रज, हरियाणी।
अवध, मराठी और बघेली, पूर्वी बुन्देली वाणी।।
अञ्चल प्राञ्जल आठ कोस में, बोली को लहजा बदलो।
भाषा हिंदी खड़ी कहे कि, दसहू सग बहने कह लो।।
हिन्दी भाषा की पराकाष्ठा
वसुधैव कुटुम्बकम को हिंदी ने, संस्कार से पाया है।
मूल्य उदार ममत्वाभूषण, सबको गले लगाया है।।
मन-विज्ञान ज्ञान दर्शन की, हिंदी करती मीमांसा।
निराकार तक पहुँचाने की, इसमें प्रेरक अभिलाषा।।
गर्व
महामिलन की प्रेममयी, यात्रा हिंदी करवाती है।
ज्यों नद नदियों को लेकर, गंगा! सागर हो जाती है।
महागर्व है मुझे कि मेरी, माँ की बोली हिंदी है।
कविताओं की मौलिकता का, स्रोत सार शुचि हिंदी है।।
सारांश
अति उदार संस्कृत की बेटी, रस समता बरसाती हिंदी।
दुनिया भर की भाषाओं के, शब्दों को अपनाती हिंदी।।
देवनागरी की लिपि वाली, साहित्यिक देशांचल बोली।
परिधि से चलकर केंद्र बिन्दु तक, यात्रा करवाती हिंदी।।
रचयिता
हरीराम गुप्त "निरपेक्ष"
सेवानिवृत्त शिक्षक,
जनपद-हमीरपुर।
Comments
Post a Comment