166/2024, बाल कहानी- 18 सितम्बर
बाल कहानी - बिजली
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दो-तीन दिन से लगातार बारिश होने की वजह से श्याम सिंह की रात की नींद उड़ी हुई थी। श्याम सिंह ने अपने खेत में हरी सब्जियों की खेती कर रखी थी। श्याम सिंह ने सोचा था कि हरी सब्जियों को बाजार में बेचकर अच्छे पैसे कमा लेंगे।
तीसरे दिन श्याम सिंह से रहा नहीं गया। उन्होंने अपने पुत्र से कहा, "देवा! मैं खेत की तरफ जा रहा हूँ।" देवा ने कहा, "पिताजी! रुक जाइए, आसमान में बिजली चमक रही है। खतरा है, खेतों पर मत जाओ।"
श्याम सिंह ने पुत्र की बात नहीं मानी और पुत्र को साथ लेकर खेतों की तरफ चल दिए। तेज बारिश के साथ बिजली चमक रही थी। खेत की सब्जियों को देखने के बाद में श्याम सिंह पेड़ के नीचे खड़े हो गये। देवा ने कहा, "पिताजी! पेड़ के नीचे मत खड़े होइए, पेड़ के ऊपर सबसे पहले बिजली गिरती है। ऊँची चीजों पर बिजली गिरती है। यहाँ पर तो कोई पक्का मकान भी नहीं है, इसलिए हमें धरती पर खेत में ही बैठना होगा।"
श्याम सिंह और देवा खेत में उकडूँ मारकर और हाथ कानों पर रखकर बैठ गये। तभी बिजली गड़गड़ाहट के साथ पेड़ पर गिर पड़ी।
श्याम सिंह और देवा दोनों उठे और दोनों ने तेजी से भागकर गाँव के बाहर बने भवन के पास खड़े होकर अपनी जान बचायी। श्याम सिंह सोच रहे थे कि काश! उन्होंने पुत्र की बात मान ली होती और बारिश में खेत पर नहीं गये होते तो इस तरह संकट का सामना न करना पड़ता। उन्होंने अपने पुत्र से कहा, "मुझे तुम्हारी बात मान लेनी चाहिए थी। ईश्वर की कृपा थी, जो हम बच गये।" यह सुनकर पुत्र ने कहा, पिताजी! इसमें आपका कोई दोष नहीं है, शायद ईश्वर को यही मंजूर था। ईश्वर ने इस घटना के द्वारा हमें भविष्य के लिए संपर्क कर दिया ताकि हम प्रत्येक कार्य जल्दबाजी में न करके सोच-समझकर करें।"
"हाँ, पुत्र! अब हम भविष्य में इसका ध्यान रखेंगे। चलो, घर चलें।" इस प्रकार दोनों बातें करते हुए घर की ओर चल दिये।
संस्कार सन्देश -
बारिश और बिजली के गिरने समय इससे बचने के लिए हमें घर में ही रहना चाहिए।
लेखिका-
शालिनी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय रजवाना
विकासखण्ड- सुल्तानगंज
जनपद- मैंनपुरी
कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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