178/2024, बाल कहानी- 01 अक्टूबर
बाल कहानी - गिल्लू और कालू की दोस्ती
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राजू के घर में एक बड़ा-सा बगीचा था, जिसमें एक गिलहरी रहती थी। राजू ने उस गिलहरी का नाम रखा गिल्लू। गिल्लू दिन-भर पेड़ों पर उछल-कूद करती रहती थी।
राजू के घर में एक कुत्ता भी पला हुआ था। कुत्ते का नाम था कालू।
कालू जब भी गिल्लू को देखता, उसके ऊपर झपटता और गिल्लू तेजी से दौड़कर कभी पेड़ पर चढ़ जाती, कभी छत पर चढ़ जाती। राजू कालू और गुल्लू की शैतानी देखकर खुश होता।
गर्मियों के दिन थे। एक दिन राजू गिल्लू के पास बगीचे में पानी रखना भूल गया। गिल्लू को जोर से प्यास लगी थी। वह कभी बगीचे में दौड़ती, कभी पेड़ पर चढ़ती और कभी छत पर चढ़ती तथा जोर-जोर से आवाज निकालती।
कालू भी बगीचे में घूम रहा था। गिल्लू को प्यासा देख कालू राजू के पास आया और गुल्लू के पानी वाले बर्तन के पास राजू को ले गया। पानी का बर्तन सूखा पड़ा हुआ था। राजू ने तुरन्त बर्तन में पानी भरा। गिल्लू ने पानी पिया और फिर कालू गिल्लू की तरफ दौड़ा और गिल्लू कालू को चिढ़ाते हुए दौड़कर पेड़ पर चढ़ गयी। गिल्लू और कालू का यह खेल देखकर राजू हँसने लगा।
संस्कार सन्देश-
हमें पशु-पक्षियों की मदद कर उनके खाने-पीने का ध्यान रखना चाहिए।
कहानीकार-
रचना तिवारी (स०अ०)
प्रा० वि० ढिमारपुरा पुनावली
कलां (रक्सा) झाँसी (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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