160/2024, बाल कहानी -06 सितम्बर


बाल कहानी- आँधी
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गोपालपुर गाँव में मेला लगा हुआ था। गोपालपुर में रहने वाले बिरजू और भोला नामक दो भाई मेला देखने के लिए तैयार हो गये। दोनों गरीब थे। मेला देखने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। बिरजू ने भोला से कहा, "भोला! हमारे पास तो पैसे ही नहीं हैं। हम मेला कैसे देखेंगे? हम तो वहाँ से कोई खिलौना भी नहीं ले पायेंगे।" 
भोला ने कहा, "अरे बिरजू! तू चल.. हम ऐसे ही मेले में घूमेंगे।" दोनों भाई मेले में पहुँच गये। दोपहर को अचानक मेले में तेज आँधी आ गयी। आँधी आने से मेले में अफरा-तफरी मच गयी। दुकानदारों का बाहर लटका हुआ सारा सामान तेज आँधी से इधर-उधर उड़ने लगा। सारे खिलौने इधर-उधर बिखर गये। कुछ लोग आँधी में फैले हुए सामान को चुराने की कोशिश करने लगे। बिरजू और भोला ने देखा तो तुरन्त उस फैले हुए सामान को बटोरकर दुकानदारों को लौटाने लगे और लोगों को सामान उठाने से मना करने लगे।
जब आँधी थम गयी तो दुकानदारों का बहुत- सा सामान गायब था लेकिन बिरजू और भोला ने दुकानदारों का बहुत सारा सामान आँधी से बचाकर उन्हें लौटा दिया था। दुकानदारों ने दोनों को धन्यवाद कहा और खुशी से बोले, "बेटा! तुमने हमारी बहुत मदद की है, नहीं तो हमारा बहुत नुकसान हो जाता। ये लो कुछ खिलौने.. इनसे तुम खेल लेना.. हमें बहुत खुशी होगी।"
बिरजू और भोला बहुत खुश हुए क्योंकि जो खिलौने वह ले ना सके थे। वह उनके हाथों में थे। उन्होंने ईमानदारी का नेक परिचय जो दिया था।

संस्कार सन्देश-
आपदा आने पर हमें उसका अवसर नहीं उठाना चाहिए बल्कि लोगों की मदद करनी चाहिए।

लेखिका- 
#शालिनी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय रजवाना,
 सुल्तानगंज (मैनपुरी)

कहानी वाचक-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#नैतिक_प्रभात

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