172/2024, बाल कहानी- 24 सितम्बर
बाल कहानी - मददगार चिड़िया
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एक पेड़ पर एक चिड़िया का घोंसला था, जिसमें उसके दो बच्चे थे। एक दिन चिड़िया अपने बच्चों के लिए दाना लेने के लिए जंगल में गयी। उस दिन पेड़ पर एक बन्दर आया। बन्दर फल खाने के लिए पेड़ पर गया। बन्दर ने जैसे ही फल पर हाथ लगाया तो बच्चे चीं- चीं करने लगे। तब बन्दर ने देखा कि वहाँ चिड़िया का घोंसला है। घोंसले को देखकर बन्दर सोचने लगा कि चिड़िया ने कितना सुन्दर घोंसला बनाया है! बन्दर बहुत देर तक घोंसले को देखता रहा। तभी चिड़िया दाना लेकर अपने बच्चों के पास आयी।
बन्दर को पेड़ पर देखकर चिड़िया बोली, "बन्दर भाई! यहाँ क्या कर रहे हो?" बन्दर ने कहा, "बहन! तुमने कितना सुन्दर घोसला बनाया है! मैं भी घर बनाना चाहता हूँ। तुम मेरा घर बनाने में मेरी मदद करोगी।" चिड़िया बोली, "हाँ! तुम और मैं मिलकर तुम्हारे पेड़ के नीचे तुम्हारे लिए घर बनायेंगे।" चिड़िया ने बन्दर से कहा-, "मैं घास लाऊँगी और तुम पत्थर इकट्ठे करना।" चिड़िया घास लेकर आयी तथा बन्दर ने ढेर सारे पत्थर इकट्ठे किये। दोनों ने मिलकर बन्दर के लिए घर बनाया। अपना घर देखकर बन्दर बहुत खुश हुआ। उसने चिड़िया को 'धन्यवाद' दिया। रोज सुबह चिड़िया गाना सुनाती। बन्दर गाने को सुनकर ठुमुक-ठुमुक कर नाच दिखाता। बन्दर का नाच देखकर चिड़िया के बच्चे खुश रहने लगे।
संस्कार सन्देश-
पशु-पक्षी भी मनुष्य की तरह अपना जीवन स्वच्छन्दता के साथ जीना चाहते हैं। ऐसे जीवन जीने में उन्हें अपार सुख और खुशी मिलती है।
कहानीकार-
दमयन्ती राणा (स०अ०)
रा० उ० प्रा० वि० ईड़ाबधाणी
वि० ख० कर्णप्रयाग, चमोली (उत्तराखण्ड)
कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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