माँ भारती को हम हिंदी से सजाएँ

'स' सूरज की लालिमा, माँ के भाल लगाएँ। 

'ह' से अपना हिमालय, माँ का सिर छत्र बनाएँ।

 माँ भारती को हम हिंदी से सजाएँ।

जन-जन से हिंदी गान कराएँ।। 

'न' से नाक में मोती, 'क' से कर्ण फूल पहनाएँ। 

'ध' से धानी ओढ़नी, माँ के अंग ओढ़ाएँ। 

माँ भारती को हम हिंदी से सजाएँ।

जन-जन से हिन्दी गान कराएँ।।

नदिया की ये लहरें, बन मेखला जाएँ। 

वर्णों के पुष्पहार, माँ के कंठ पहनाएँ।

 माँ भारती को हम हिंदी से सजाएँ।

जन-जन से हिन्दी गान कराएँ।।

व्यंजन हाथ के कंगन, स्वर घुँघरू बन जाएँ। 

ताल पर झूमेगी भारती, सरगम जो पूरा हिंद है गाए।

माँ भारती को हम हिंदी से सजाएँ।

जन-जन से हिंदी गान कराएँ।।

वीरों के कंधे माँ की सवारी, हँसके बोझ माँ का उठाएँ।

सद्भावना मीत हमारी, दुर्भावना दूर भगाएँ।

 माँ भारती को हम हिंदी से सजाएँ।

 जन-जन से हिन्दी गान कराएँ। 


चयिता

राजबाला धैर्य,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बिरिया नारायणपुर,
विकास खण्ड-क्यारा, 
जनपद-बरेली।

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