159/2024, बाल कहानी - 05 सितम्बर


बाल कहानी- लालच बुरी बला
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रामू और श्यामू बहुत शरारती थे। वह रोज एक नई शरारत करते थे। गाँव के सभी लोग उनके परेशान थे। किसी की गाय को खोलकर खेत में छोड़ देते, किसी की बकरी को ले जाकर उसका दूध निकाल कर बेच देते थे। उनके मोहल्ले में रामदीन बाबा जो बहुत बुजुर्ग थे, अपने चबूतरे पर चारपाई पर लेटे रहते थे। उनको आँखों से कम दिखाई देता था। यह दोनों उनको बहुत परेशान करते। उनके चिल्लाने पर घर वाले निकलकर आते, तब यह भाग जाते। 
एक दिन बाबा ने उनको पास बुलाया और कहा कि, "बच्चों! आप बहुत होशियार हो। मेरे खेत के पास में एक ट्यूबेल हैं। उसके दाहिने तरफ मेरा खजाने का बक्सा गड़ा हुआ है। आप लोग उसको लेकर आओ।" दोनों बाबा के कहे अनुसार वहाँ पर गये और खुदाई चालू कर दी। वहाँ उनको कुछ भी न मिला। उन्होंने बाबा से आकर के कहा। तब बाबा ने कहा कि, "खजाना खेत में खिसक गया होगा। मेरे बच्चे तो आलसी हैं। यह काम तुम ही कर सकते हो। मैं आपको सौ रुपये इनाम में दूँगा।" अगले दिन वह पावड़ा लेकर खेत पर गये और खुदाई चालू कर दी। अब भी उनको कुछ न मिला। वह वापस आकर बाबा पर गुस्सा हुए और अपना इनाम माँगा। बाबा ने कहा-, "एक महीने बाद आना।" बाबा की चारपाई के नीचे एक बाजरा की बोरी रखी हुई थी। उन्होंने चुपके से निकाल ली और भाग गये। वे उसे खेत पर बिखेर कर आ गये। उनके दिमाग में तो सिर्फ शरारत ही रहती थी। कुछ दिनों बाद जब वह स्कूल जा रहे थे, तो उन्होंने बाबा का खेत देखा। वहाँ पर फसल लहलहा रही थी। 
कुछ दिनों के बाद उन्होंने देखा कि उनके बेटे उसे फसल को काट रहे थे और बोरी में भर रहे थे। उन्होंने बाबा से जाकर कहा, "बाबा! आपके खेत में जो फसल हुई है, वह हमारी मेहनत है।" बाबा ने अपने बेटों को बुलाया और कहा, "इस फसल का आधा पैसा इन बच्चों को देना। उनके बेटे लड़ने लगे। तब बाबा ने कहा, "यह दोनों बच्चे शरारती थे इसलिए इनको सबक मैंने सिखाया है, ताकि यह सुधर जायें। झूठ खजाने का बहाना बनाया था। खेत की खुदाई इन बच्चों ने की है। अनजाने में ही सही.. यह चोरी करके मेरा बाजरा ले गए थे और खेत में डालकर आ गये थे। मुझे कम दिखाई देता है, इन्होंने यही सोचा था लेकिन उनकी मेहनत से यह फसल हुई है। इसका आधा दाम इन बच्चों को दे।" आधा दाम पाकर दोनों बड़े खुश हुए। उन्होंने बाबा से माफी माँगी और कहा कि, "आज के बाद हम शर्त नहीं करेंगे और मेहनत करेंगे क्योंकि लालच बुरी बला होती है। आज हमारी समझ में आ गया। सभी गाँव वाले उन दोनों बच्चों से खुश हुए और उन्हें गले लगा लिया।

संस्कार सन्देश-
किसी के द्वारा किए गये कार्य का इनाम असली हकदार को ही मिलना चाहिए। हमें किसी की भी मेहनत का नहीं खाना चाहिए।

लेखिका-
#पुष्पा_शर्मा (शि०मि०)
राजीपुर, अकराबाद अलीगढ़ (उ०प्र)

कहानी वाचक-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#नैतिक_प्रभात

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