161/2024, बाल कहानी-07 सितम्बर


बाल कहानी- सफर
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रिया और प्रिया दो बहनें थीं। रिया कक्षा आठ और प्रिया कक्षा सात की छात्रा थी। रिया के मुकाबले में प्रिया बहुत चंचल थी। छुट्टियों का दिन था। रिया और प्रिया नानी के घर अभिभावक के साथ जा रही थी। दोनों बहनें बहुत खुश थीं। दोनों को सफर करना बहुत अच्छा लगता था।
बस में चढ़ते ही रिया बस की खिड़की के पास बैठ गयी और प्रिया पिताजी का मोबाइल लेकर तेज आवाज में कार्टून देखने लगी।
आस- पास कुछ बुजुर्ग लोग बैठे थे। उनको तेज़ आवाज़ से दिक्कत हो रही थी, पर वो कुछ कह नहीं पा रहे थे। बस! अपने कान को बन्द करने की कोशिश कर रहे थे।
रिया बुजुर्गों की दिक्कत को महसूस कर रही थी, पर प्रिया कार्टून देखने में गुम थी।
रिया से रहा नहीं गया। उसने अपनी छोटी बहन प्रिया को समझाया।
प्रिया ने रिया की एक न सुनी।
रिया के माता-पिता सारी बातें सुन रहे थे। उन्होनें इधर- उधर गौर करके देखा तो उनको रिया की बातों में सच्चाई दिखी। देर न करते हुए उन्होंने प्रिया के हाथ से मोबाइल लेते हुए प्रिया को प्यार से समझाया। प्रिया को बात समझ में आ गयी। उसने रिया दीदी से माफी माँगी।
रिया ने तुरन्त माफ कर दिया और प्रिया को बस की खिड़की के पास बैठा दिया। प्रिया सफर का मजा लेने लगी। 

संस्कार सन्देश- 
सफर करते समय हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि कहीं हमारे शौक की वजह से किसी को कोई दिक्कत तो नहीं हो रही है।

लेखिका-
#शमा_परवीन 
बहराइच (उत्तर प्रदेश)

कहानी वाचक-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#नैतिक_प्रभात

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