170/2024, बाल कहानी- 21 सितम्बर
बाल कहानी - बुजुर्गों की बात
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सुबह की ही बात है, शिवा सोकर उठा ही था कि उसके बाबा ने उससे पीने के लिए पानी माँग लिया।
बाबा बोले, " ऐ बच्चा शिवा! तनी एक लोटा पानी देई देय्यो बेटवा।" दादा की बात सुनते ही शिवा ने गुस्से से कहा कि, "बाबा! तुमका कउनो काम नाही न का, जे जब देख्यो, हमहिन से पानी माँगत रहथ हो।"
यह कहकर शिवा आगे बढ़ गया। सुबह-सुबह खेलते हुए जैसे ही वह अपने दोस्त शम्भू के घर पहुँचा तो उसने देखा कि, "शम्भू अपने बाबा का सिर दबा रहा है और उसके बाबा उसे दुआएँ दे रहे हैं कि, "बच्चा शम्भू! खूब पढ़ो-लिखो बेटा! राजा बाबू बनो मेरे लाल! भगवान तुमका बनाएँ रखें।" यह सब दॄश्य देखकर शिवा को अपने किए पर बहुत पछतावा और आत्मग्लानि हुई। घर वापस आकर उसने अपने व्यवहार और वचनों के लिए अपने बाबा के पैरों में गिरकर माफी माँगी। बाबा ने उसे गले से लगा लिया और बोले कि, "बच्चा! बुढ़ाई सबही के आवत है। आज हमार है, कल तुम्हार आई। एहि कारन घर के बुजुर्गन के बात माने के चाही बेटवा।" शिवा को अब समझ में आ चुका था कि बुजुर्गों से कैसे व्यवहार करना चाहिए।
संस्कार सन्देश-
हमें सदैव अपने माता-पिता और बुजुर्गों की आज्ञा का पालन करना चाहिए।
कहानी लेखक -
दीपक कुमार यादव (स०अ०)
प्रा० वि० मासाडीह,
महसी (बहराइच)
कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात
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