163/2024, बाल कहानी-11 सितम्बर


बाल कहानी - रोहन का बगीचा
--------------------- 

रोहन एक ग्रामीण परिवार में रहता था। वह अपने परिवार में सबसे छोटा और होनहार लड़का था। रोहन नियमित विद्यालय जाता। वह गाँव में सरकारी स्कूल में पढ़ता था। 
बरसात शुरू होते ही विद्यालय में वृक्षारोपण शुरू हो गया। साथ ही वृक्षारोपण और पर्यावरण सन्तुलन के महत्व पर शिक्षकों द्वारा स्कूल के छात्रों को जानकारी दी गयी। साथ ही सभी बच्चों को अपने-अपने घरों में वृक्ष लगाने के लिए कहा गया। उसी समय रोहन ने सोचा कि मैं भी अपने घर के बाड़े में वृक्ष लगाना शुरू करूँगा और उसने यह काम जल्द ही शुरू कर दिया। 
उसके पास पौधे खरीदने के पैसे तो होते नहीं थे और न ही गाँव-देहात में पौधशाला होती है तो वह नए अंकुरित पौधे कहीं मिल जायें या बीज मिल जाते तो उनसे पेड़-पौधे विकसित करने का प्रयास करता और वह उस कार्य में सफल भी रहा। 
रोहन ने सबसे पहले अपने माता-पिता के नाम के दो पेड़ लगाये,फिर उसने अपने सभी परिवार के सदस्यों के नाम के अलग-अलग पेड़ लगाये। 
इसका असर यह हुआ कि रोहन के घर के चारों तरफ हरियाली हो गयी और वहाँ बहुत सुन्दर लगने लगा। यह बात विद्यालय में सभी को पता चली तो स्कूल में रोहन की बहुत प्रशंसा हुई और उसे सम्मान मिला। 
जिसे देखकर स्कूल के अन्य छात्रों ने प्रेरणा लेकर पेड़-पौधे लगाना शुरू किया। 
सभी बच्चों की वृक्षारोपण के प्रति रुचि देखकर गाँव वालों ने भी उनका साथ दिया। देखते ही देखते कुछ सालों में पूरा गाँव हरा-भरा हो गया।

संस्कार सन्देश
वृक्ष हमें शुद्ध वायु प्रदान करते है और वर्षा कराने में सहायक होते है इसलिए हमें वृक्षारोपण करना चाहिए। 

लेखक- 
धर्मेंद्र कुमार शर्मा (स०अ०)
कन्या० प्रा० वि० टोडी- फतेहपुर गुरसरांय (झाँसी)

कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

Comments

Total Pageviews