171/2024, बाल कहानी- 23 सितम्बर


बाल कहानी - बड़ों की बात
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एक दिन बहुत तेज पानी बरसा और गाँव में जगह-जगह तालाब में, सब स्थानों में पानी बहुत ज्यादा भर गया। गाँव के बच्चों को पानी में मस्ती करने में बड़ा मजा आता था। 
एक दिन सोहन ने सोचा कि स्कूल जाने से पहले थोड़ी देर पानी में मस्ती कर लेता हूँ, जबकि उसकी मम्मी ने उसे ऐसा करने के लिए मना किया, पर वह नहीं माना और मम्मी को बताए बिना ही स्कूल जाने से पहले ही वह स्कूल के लिए निकला और रास्ते में तालाब कूद पड़ा और उसमें बहुत सारा पानी भरा था। वह झट से उस पानी में कूद गया और अपने दोस्त को भी साथ में ले लिया। वह मस्ती ही कर रहा था कि अचानक एक बिजली का तार पानी में पड़ा हुआ था। उसने देखा नहीं और तैरते-तैरते उसे बिजली के तार के पास पहुँच गया और वह तार को छूने ही वाला था कि उसने दोस्त ने उसको पकड़कर के पीछे किया और बोला, "चलो जल्दी से बाहर निकलते हैं।" लेकिन तब तक उसे एक जहरीले कीड़े ने पैर में काट लिया और वह दर्द से चिल्लाने लगा। बाहर निकलते ही उसको ले जाकर डॉक्टर को दिखाया गया। उसके मम्मी-पापा को बताया। तब जाकर सोहन ठीक हुआ। उस दिन सोहन ने कहा कि, "हमें अपने मम्मी-पापा और बड़ों का कहना अवश्य मानना चाहिए क्योंकि वह हमें कभी भी गलत सलाह नहीं देते हैं और हमें गलत काम करने से बचना चाहिए।

संस्कार सन्देश -
हमें ये भली-भाँति जानकर कार्य करना चाहिए कि किसमें हमारी हानि है और किसमें लाभ है।

कहानीकार-
सुमन देवी (कक्षा- 8)
स्कूल पूर्व माध्यमिक विद्यालय सेमरुआ, सरसौल (कानपुर नगर)

कहानी वाचन-
नीलम भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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