बेटी

बेटियाँ ईश्वर का उपहार,

करो ना इनका तिरस्कार।

बेटियाँ रूप देवियों का,

और ये मान है देवों का।।

बेटियाँ खुशियों की है उड़ान,

बेटियाँ सपनों की पहचान।

बेटियाँ पिता का है सम्मान,

बेटियाँ होंठों की मुस्कान।।

जो इनको ना समझा, नादान,

बेटियों से है घर संसार।

बेटियाँ ईश्वर का उपहार,

करो ना इनका तिरस्कार।।


बेटियाँ मूरत ममता की,

बेटियाँ चिड़ियाँ आँगन की।

सूर्य की प्रथम किरण बेटी,

चाँद की शीतलता बेटी।।

बेटियाँ, बेटों से बढ़कर,

लड़ें हर मुश्किल से डटकर।

बेटियाँ मीठी सी मुस्कान,

बेटियाँ होती हैं मेहमान।‌

करो तुम उन्हें उम्र भर प्यार।।

बेटियाँ ईश्वर का उपहार,

करो ना इनका तिरस्कार।।


हर एक बेटी होती प्यारी,

हमारी हो या तुम्हारी।

करो तुम बेटी पर अभिमान, 

हर एक बेटी का हो सम्मान।।

बेटियों को दो हर अधिकार, 

बेटियों को मत समझो तुम भार।

बेटियाँ जीवन का आधार, 

बेटियाँ ईश्वर का उपहार।

करो ना इनका तिरस्कार।।

    

रचयिता

अंकुर पुरवार,

सहायक अध्यापक,

उच्च प्राथमिक विद्यालय सिथरा बुजुर्ग,

विकास खण्ड-मलासा,

जनपद-कानपुर देहात।

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