बचपन तुम कहाँ गुम
बचपन तुम कहाँ गुम हो?
गलियों में अब नहीं चहकते तुम हो,
बारिश हो या बर्फ के फाहे, सब सखी तुम्हारी थी,
कोई भी परिस्थिति तुमको रोक न पाती थी।
तुम्हारी जिज्ञासा, कल्पनाओं की सवारी थी,
प्रकृति तुम्हें गिरकर भी डटे रहना सिखाती थी।
तुम रंग पढ़ते नहीं थे, फूलों से जान लेते थे,
तुम काल्पनिक कहानियों को सच मान लेते थे।
तुम्हारी दुनिया इंटरनेट के कारण बड़ी हो गई है।
फोन-नेट की दीवार हमारे बीच खड़ी हो गई है।
बचपन तुम चहकना फिर से चिड़ियों में,
महकना तुम फिर फूलों में,
फिर करना तितलियों का पीछा,
सहलाना नन्हा पौधा जो तुमने सींचा।
लगा के लंबी छलांगें तैरना बादलों के साथ,
गिन लेना तारों को जब हो जाए देर रात।
फिर करना मदद रोज किसी नन्हें जीव की,
बनना एक मजबूत पत्थर इंसानियत के नींव की।
गिरकर सँभलने की सीख जो जंगलों से मिलेगी,
वो ही तुम्हें हर हार से उठने का जज्बा देगी।
तुम फोन की बोरियत से थककर बाहर आओगे,
बाहें फैलाये सदा मुझको पाओगे।
बहुत कुछ नया है मेरे पास दिलाती हूँ विश्वास,
मैं माँ प्रकृति हूँ नहीं तोड़ूँगी तुम्हारी आस।
रचयिता
पूनम दानू पुंडीर,
सहायक अध्यापक,
रा०प्रा०वि० गुडम स्टेट,
संकुल- तलवाड़ी,
विकास खण्ड-थराली,
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।
गलियों में अब नहीं चहकते तुम हो,
बारिश हो या बर्फ के फाहे, सब सखी तुम्हारी थी,
कोई भी परिस्थिति तुमको रोक न पाती थी।
तुम्हारी जिज्ञासा, कल्पनाओं की सवारी थी,
प्रकृति तुम्हें गिरकर भी डटे रहना सिखाती थी।
तुम रंग पढ़ते नहीं थे, फूलों से जान लेते थे,
तुम काल्पनिक कहानियों को सच मान लेते थे।
तुम्हारी दुनिया इंटरनेट के कारण बड़ी हो गई है।
फोन-नेट की दीवार हमारे बीच खड़ी हो गई है।
बचपन तुम चहकना फिर से चिड़ियों में,
महकना तुम फिर फूलों में,
फिर करना तितलियों का पीछा,
सहलाना नन्हा पौधा जो तुमने सींचा।
लगा के लंबी छलांगें तैरना बादलों के साथ,
गिन लेना तारों को जब हो जाए देर रात।
फिर करना मदद रोज किसी नन्हें जीव की,
बनना एक मजबूत पत्थर इंसानियत के नींव की।
गिरकर सँभलने की सीख जो जंगलों से मिलेगी,
वो ही तुम्हें हर हार से उठने का जज्बा देगी।
तुम फोन की बोरियत से थककर बाहर आओगे,
बाहें फैलाये सदा मुझको पाओगे।
बहुत कुछ नया है मेरे पास दिलाती हूँ विश्वास,
मैं माँ प्रकृति हूँ नहीं तोड़ूँगी तुम्हारी आस।
रचयिता
पूनम दानू पुंडीर,
सहायक अध्यापक,
रा०प्रा०वि० गुडम स्टेट,
संकुल- तलवाड़ी,
विकास खण्ड-थराली,
जनपद-चमोली,
उत्तराखण्ड।
सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद🙏
DeleteNice...👍🏼
ReplyDeleteThanx🙏
DeleteGood keep it up
Delete😇🙏🙏🙏
DeleteVery nice
ReplyDeleteप्रगति के पथ पर यूं ही अग्रसर रहो पूनम ।
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