बेटी धन


मैं इस धरती पर आई, बनकर माँ की परछाई--2
मैं माँ की हूँ परछाई, माँ की खुशियाँ मैं लाई--2

मैंने जन्म लिया धरती पर, लक्ष्मी बनकर मैं आई--2
लक्ष्मी बनकर मैं आई, घर में खुशहाली छाई--2

घर में खुशहाली छाई, जग में मैं नाम कमाई--2
जग में मैं नाम कमाई, सबसे आगे बढ़ पाई--2

सबसे आगे बढ़कर, मैंने कितनी खुशियाँ पाई--2
मैंने कितनी खुशियाँ पाई, पढ़ लिख आगे बढ़ पाई--2

पढ़ लिख आगे बढ़ पाई, अपने पैरों चल पाई--2
अपने पैरों चल पाई, मैं बेटी धन बन पाई--2

मैं बेटी धन बन पाई, बेटों सा प्यार मैं पाई--2
मैं इस धरती पर आई, बनकर माँ की परछाई--2

मैंने जन्म लिया धरती पर, लक्ष्मी बनकर मैं आई।
घर में खुशहाली छाई, जग में मैं नाम कमाई।

सबसे आगे बढ़कर, मैंने कितनी खुशियाँ पाई।
पढ़ लिख आगे बढ़ पाई, अपने पैरों चल पाई।

मैं बेटी धन बन पाई, बेटों सा प्यार मैं पाई।

रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मसेनी(बालक) अंग्रेजी माध्यम,
विकास खण्ड-बढ़पुर,
जनपद-फर्रुखाबाद।

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