मराठा गौरव

तीर तलवार भाले बरछी ही तो उनके खिलौने थे,
शिवनेरी के दुर्ग में ऐसे योद्धा शिवाजी जन्मे थे।
पिता शाहजी भोंसले माता जीजाबाई थी,
सौराष्ट्र के थे निर्माता देशभक्ति मन में समाई थी।
भारत के वे वीर सपूत हौंसले उनके बुलंद थे,
गुरु थे समर्थ रामदास संत व विद्वन्त थे।
गोरिल्ला युद्ध के ज्ञाता थे अखंड भारत के स्वप्नदृष्टा,
अन्याय, अनाचार से लड़ने वाले वे तो थे एक मराठा।
सबसे पहले किया उन्होने भारत में नौसेना निर्माण,
वो मराठा गौरव, छत्रपति थे तत्पर करने को नारी सम्मान।
युद्ध कौशल, शासन प्रबंध, रणनीतिकार वो गजब हुए,
क्यूँ करें गुलामी मुगलों की इस पर भी वो सजग हुए।
भर हुँकार कह महादेव वो टूट पड़े उन मुगलों पर,
एक मराठा सौ पर भारी, नहीं था उनको रत्ती डर।
इस जन्मदिवस के अवसर पर हम सब भी लें ये कसमें,
तैयार करें ऐसी भावी सेना देश प्रेम हो बस जिसमें।

रचयिता 
गीता यादव,
प्रधानाध्यपिका,
प्राथमिक विद्यालय मुरारपुर,
विकास खण्ड-देवमई,
जनपद-फतेहपुर।

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