ऐ जिंदगी

सोचो तो हसीन ख्वाब है जिंदगी,
एक अनोखा एहसास है जिंदगी।
फिसलती जाती है रेत की तरह,
पूछा तो एक सवाल है जिंदगी।।
सिमटे तो संकीर्ण,
फैले तो विस्तीर्ण है जिंदगी।
आती जाती है सागर की लहरों की तरह,
छोड़ जाती कुछ निशान है जिंदगी।।
हौसले हों तो उड़ान,
न हो तो तूफान है जिंदगी।
बेहतर कल की तलाश में,
बस एक खोज है जिंदगी।।
कहीं संघर्षों का मैदान,
तो कहीं अधूरे सपनों को,
पूरा करने की तमन्ना है जिंदगी।
यूँ उड़ जाती है लगाकर पंख,
कब आती और कब चली जाती है जिंदगी।।
लेकिन जब तू आ जाना,
तू कुछ करके ही जाना ऐ जिंदगी-2

रचयिता
सुमन पांडेय,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय टिकरी मनौटी,
शिक्षा क्षेत्र -खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।

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