बस चलते जाना

कर्म क्षेत्र के पथ पर 
रुक न जाना, चलते जाना।
मुश्किलें आएँगी, बाधाएँ आएँगी,
पर न घबराना, चलते जाना।।
आलोचक भी मिलेंगे, प्रशंसक भी,
पर भटकना जाना, चलते जाना।।
गहराइयाँ भी मिलेंगी, ऊँचाइयाँ भी,
पर पग पीछे ना हटाना।।
चलते जाना।।
थकावट भी होगी, शिथिलता भी होगी,
आराम कर  लेना, विश्राम भी कर लेना।।
पर थक न जाना, चलते जाना।।
हक और कर्तव्य की लड़ाई में अपने कर्तव्य दिखाना।।
चलते जाना।।
मंजिलें कदम चूम लेंगी,
बस सही रास्ते अपनाना।।
चलते जाना।।
हँसी बाँटना , खुशी बाँटना,
सफर में मिली हर सीख को बाँटना,
पर चलते जाना, चलते जाना।।

रचयिता
नीलम जैन,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रजवारा, 
विकास खण्ड-बिरधा, 
जनपद-ललितपुर।

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