पुत्री बालमन

मेघा, सजनी, छोटी, झुन्नी,
कीहु, कविता, प्यारी मुन्नी
आओ हम सब खेल-खेल में
मिलकर बनाएँ कई कहानी!

दादी, नानी, चाची, माँ जी,
फुआ, मामी और मौसी की
रंग-बिरंगे साड़ी पहनकर
बनाऊँ रिश्ते की बागवानी!

घर में हम सब देख-देखकर
संबंधों को समझ-समझकर
फिर भी उलझन में फँस जाऊँ
जैसे क्या बचपन क्या है जवानी!

कभी सास तो कभी पतोहू
कभी बेटी तो कभी दुल्हन
संबंधों की टोली में मालकिन
तो कभी बन जाऊँ नौकरानी!

मीठी बातों से दिल बहलाऊँ
आँख दिखाकर डर खिलाऊँ
रुठने-मनाने का नाटक कर
आपस में करुँ खूब मनमानी!
             
रचयिता
चैतन्य कुमार,
सहायक शिक्षक,
मध्य विद्यालय तीरा,
ग्राम+पत्रालय:- तीरा खारदह,
प्रखण्ड:- सिकटी,
भाया:- कुर्साकाँटा,
जिला:- अररिया,
राज्य:- बिहार।

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