बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

बेटे ही क्यों प्यारे होते,
सबके राज दुलारे होते,
बेटे से भी बढ़कर बेटी
होती सबकी शान।
कर लो बेटी का सम्मान॥

भेदभाव की खाई ही तो,
कन्याओं को मरवाती है।
अरे! इनके भी कुछ सपने होते,
ये जीने को ललचाती हैं॥
बस कर ऐ इन्सान,
ना ले मासूमों की जान,
इनका होता है अपमान,
कर ले बेटी का सम्मान॥

सभी के आँगन की हँसती खिलखिलाती,
जन्म होने से पहले ही मार दी जाती।
धिक्कार है ऐसे माँ बाप को,
ऐसा करने में जिन्हें शर्म नहीं आती॥
सबका रखती है ये मान,
करती त्याग और बलिदान।
तुम भी रख लो इसका ध्यान,
कर लो बेटी का सम्मान॥

बेटी को पढ़ाने से, कम होते अत्याचार,
एक भी सुता रह ना पाए,
जन-जन तक करो प्रचार।
हँसी खुशी फूले फले प्यारा सा संसार,
बेटों के तरह अगर मिले इन्हें भी प्यार॥
खुश होंगें तब भगवान,
बनेगा भारत देश महान,
सभी मन में लो अब ठान,
करेंगे बेटी का सम्मान॥

आओ सब मिल शपथ उठाएँ
परियों को जन्म लेने दें,
और इन्हें पढ़ाएँ।
सुख चैन धरा पर लाएँ
देश की हर कन्या को शिक्षित बनाएँ
झूमेगा धरती और आसमान
खुश रहेगा हर इन्सान
चलाओ मिलकर ये अभियान
कर लो बेटी का सम्मान

रचयिता
मन्जू शर्मा,
सहायक अध्यापिका, 
प्राथमिक विद्यालय नगला जगराम,
विकास खण्ड-सादाबाद,
जनपद-हाथरस।

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