प्यारी बेटियाँ

बेटियाँ जब शिक्षित होंगी।
  प्रकाशित धरा हो, छँटेगा अंधेरा।
संस्कार उन्हें हमेशा मिलेगा।
 सत्य, प्रेम, निष्ठा का होगा सवेरा।
नफरत का दीवार ढहेगा।
  माता-पिता को मिलेगा सहारा।
दुनिया में कोई क्षेत्र नहीं ऐसा,
 बुलन्दी का झण्डा लहराये प्यारा।
स्त्री-पुरुष से संतुलन बना।
   प्रकृति में परिवर्तन हो सारा।
नारियाँ ही सृजन की देवियाँ,
  पवित्र संगम का सुन्दर किनारा।
हर युग में अवतरित वीरांगनाएँ,
   चमकीं रोशन हो भाग्य सितारा।
अपाला, घोषा व प्यारी अहिल्या                     
   मीरा, दुर्गावती, लक्ष्मी, इन्दिरा।
सरोजनी, बेसेंट, माया, ममता,
    सोनिया, सुषमा व जयललिता।
प्रकृति की अनुपम रहस्य बेटी,
   हर्ष, हर्षित जग जन मन न्यारा।
               
रचयिता
रवीन्द्र शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसवार,
विकास क्षेत्र-परतावल,
जनपद-महराजगंज,उ०प्र०।


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