वो एक गुलाब

गुलाबों के महीने में वो ढेरों गुलाब मेरे देश के जवानों को समर्पित।

जब मैं लड़ता हूँ
रखकर पैर कब्र पर।
तब गुलाब भेजता है कोई
मेरी सरहद पर।।

1)पहला गुलाब मेरी माँ ने भेजा है
उस पर निकालकर रखा कलेजा है
कब आयेगा लौटकर
लिखा है पत्र पर
हाँ, आया है गुलाब मेरी सरहद पर।

2)दूजा गुलाब मेरे बापू ने दिया है
मुंदी हुई आँखों से इक संदेश किया है
कब रखेगा लौटकर
सर मेरी गोद पर
हाँ, आया है गुलाब मेरी सरहद पर।

3)तीजा गुलाब मेरी पत्नी ने भेजा है
जल्दी आओगे तुम बस इतना सुना है
कब हाथों से लगेगा
सिन्दूर मेरी माँग पर
हाँ, आया है गुलाब मेरी सरहद पर।

4)चौथा गुलाब उस छुटकी ने तोड़ा है
कहती है भईया धागे-धागे को जोड़ा है
कब बँधेगी वो राखी
तुम्हारे कर पर
हाँ, आया है गुलाब मेरी सरहद पर।

5)एक गुलाब मैं भी भेजूँगा
सारा हाल इक साँस में कह दूँगा
मिलेगी फुर्सत तो ज़रूर आऊँगा
वरना ये दिल देश के नाम लिख जाऊँगा

मैं अकेला नहीं हज़ारों
माँओ के फूल हैं सरहद पर।
हाँ खिले हैं ढेरों गुलाब
मेरी सरहद पर।।

रचयिता
आयुषी अग्रवाल,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय शेखूपुर खास,
विकास खण्ड-कुन्दरकी,
जनपद-मुरादाबाद।

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