मकसद

चिड़िया जब चहचहाती हैं,
बादल जब अंगडाईयाँ लेता है,
जब समीर भी मतवाला,
होकर निकलता है।।।।......

तब सहसा कुछ,
      झंकारें तंरगों की  मन से,
      गीत बनकर होठों में,
      आ जाती हैं,
      वो अपना राग सुनाती हैं।।।

हर शब्दों की आहट मुझे बताती हैं,
जिन्दगी मिली है तो,
कुछ मकसद बनाकर जी लें,
वरना तुझे ये कीमती,
साँसें गँवाना है।।।......

बस ये वो अवसर हैं,
जहाँ तू जीवन को,
भाषित कर एक पुष्प खिला सकता है।।...

उस परमात्मा से नजर,
मिला सकता है,
तू अपनी ताकत को,
अपनी ढाल बना,

और अपनी कलम से अपना,
    भी इतिहास बना।।.......

चिड़िया ......................
बादल..................
      इतिहास बना।।.....

रचयिता
शालिनी सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय जानकीपुर,
विकास खण्ड-सिराथू,
जनपद-कौशाम्बी।

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