विज्ञान ही विज्ञान

डॉ० रमन को हमारा शत-शत नमन,
हमारी अज्ञानता का किया जो दमन,

28 फरवरी को की महान खोज,
मनाते हम राष्ट्रीय विज्ञान दिवस उस रोज।

भारत का डंका पूरे विश्व मे बजाया है,
नोबेल पाकर भारत का मान बढ़ाया है।

 नन्हें परमाणु में,
विशाल अंतरिक्ष में।

नन्हें से कोमल पुष्प में,
बड़े से वृक्ष में।

तितली के पंखों में,
इंद्रधनुष के रंगों में,

बादल के गरजने में,
बारिश के बरसने में,

बर्फ के पिघलने में,
चंदा के निकलने में।

खुशबू के महकने में,
सूरज के दहकने में।

पलकों के झपकने में,
रॉकेट के लपकने में।

ऋषि मुनियों के ज्ञान में,
वेदों में पुराण में,

यही बात श्री रमन ने,
रमन प्रभाव में समझाई है।

हर चमत्कार के अंदर,
विज्ञान की गहराई है।

आज में, कल में,
हमारे पल-पल में।

बस एक ही चीज समाई है,
जो मेरी समझ मे आई है।

महाज्ञान विज्ञान ही है,
जिसने दुनिया रचाई है।

रचयिता
पूनम दानू पुंडीर,
सहायक अध्यापक,
रा०प्रा०वि० गुडम स्टेट,
संकुल- तलवाड़ी,
विकास खण्ड-थराली,
जनपद-चमोली, 
उत्तराखण्ड।

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