माघ पूर्णिमा

माघ मास की पूर्णिमा
कही जाती माघी पूर्णिमा।

    मान्यता है गंगाजल में विराजते हैं श्रीहरि विष्णु
    स्नान-दान से होती मनोकामनाएँ पूर्ण।

वस्त्र, गुड़, घी, लड्डू, कपास,
दान हो इनका तो मिलता लाभ।

    सत्यनारायण की कथा का विशेष महत्व है,
    दूध, दही, तुलसी, मेवे, घी, शक़्कर से बनता चरणामृत है।

दान करने से इस दिन
मिट जाते जन्मों के पाप हैं।

    चन्द्रमा भी अपनी सोलह कलाओं से
    होते बहुत शोभायमान हैं।

पूर्ण चन्द्रमा करते अमृत वर्षा
अंश जिसका वृक्षों, नदियों, जलाशयों पर पड़ता।

    माघ मास में करते देवता पृथ्वी पर निवास हैं
    होता पूर्ण इसी दिन कल्पवास है।

कर लें आज के दिन दान-स्नान
पितरों का ध्यान करें और प्रभु को प्रणाम।।

रचयिता 
मोनिका रावत,
सहायक अध्यापक,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय पैठाणी,
विकास खण्ड-थलिसैण, 
जनपद-पौड़ी गढ़वाल,
उत्तराखण्ड।

Comments

  1. माघी पूर्णिमा पर सुंदर रचना, साधुवाद

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  2. बहुत सुंदर रचना

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