होली
आज आई है होली, आया रंगों का त्योहार।
चारों और झूमे गाएँ खुशियों में सब नर नार।।
अब सब नफरत छोड़ो, छोड़ो गिले -शिकवे।
आओ गले मिलें छोड़ के, झगड़े अब कबके।।
हरा, गुलाबी, लाल, पीला और नीला रंग है छाया।
सब मुदित मन हैं, होली त्योहार है आया।।
सारे त्योहार हैं अपने, सब अपने तीज त्योहार।
आओ अपने देश की खातिर, मिलाओ दिलके तार।।
गुजिया, मठरी, शक्करपारे, कचौड़ी खूब उड़ाओ।
रंग लगा के सबके, मिलो एक हो जाओ।।
होलिका दहन नहीं है उसकी नफ़रत जली है।
यह सीख इस त्योहार से, हमको आज मिली है।।
ना छोड़ो उम्मीद, ना हो तुम निराश।
त्योहार है खुशियों का, छोड़ो ना तुम आस।।
बच्चे, बूढ़े, क्या जवान, छोड़ के निकले घर-बार।
गले लगाकर जोड़ें, हृदय के कोमल तार।।
हम हैं भारतवासी, यह त्योहार सिखाता।
आन, बान ना भूलो, होली पर्व है बतलाता।।
रचयिता
सीमा अग्रवाल,
सेवानिवृत्त सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय हाफ़िज़पुर उबारपुर,
विकास क्षेत्र - हापुड़,
जनपद - हापुड़।
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