होली आयी रे
होली आयी रे सखी, थाली भरो गुलाल।
प्रेम रंग को घोल कर, प्रिय संग करो धमाल।।
होली का त्योहार है, आता फागुन मास।
जन-जन के मन में भरे, हर पल यह उल्लास।।
पिचकारी में रंग है, मुठ्ठी भरे गुलाल।
अपने घर से भागते, संग गोपियों ग्वाल।।
होली खेलें राधिका, सभी गोपियों संग।
थाली लेकर हैं चली, भरे प्रेम के रंग।।
सजा दिये आकाश में, खुशियों के सब रंग।
देख भव्यता दृश्य की, लोग सभी हैं दंग।।
सतरंगी है आसमां, सजता रंग गुलाल।
धरती वासी कर रहे, मिलकर बहुत धमाल।।
नशा भांग का ज्यों चढ़ा, करें सभी हुड़दंग।
देख भक्त को शिव चले, कर समाधि को भंग।।
मेरे प्रियतम गा रहे, फागुन में मृदु फाग।
सखियों के सह आज में, घोंटूँ बैठी भाँँग ।।
फागुन आता देखकर, मन में नाचे मोर।
कोयल बैठी डाल पर, देखो करती शोर।।
होली का यह पर्व है, आता फागुन मास।
नर नारी सब झूमते, खूब रचाते रास।।
कैसे आऊँ श्याम मैं, होली का दिन आज।
है गुलाल जो हाथ में, कर दोगे तुम साज।।
ढोलक तासे बज रहे, सखियाँ गातीं गीत।
नर-नारी सब झूमते, लेकर सह मनमीत।।
गुझियाँ लड्डू खीर का, घर -घर लागा ढेर।
मुँह भी मीठा कीजिए, है क्यों इतनी देर।।
होली में सब भूलिए, बैरी सारी बात।
सबको गले लगाइए, बीत न जाए रात।।
रचयिता
गीता देवी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,
विकास खण्ड- बिधूना,
जनपद- औरैया।
Comments
Post a Comment