होली
होली खेलें रघुरइया,
जनकपुर बाजे बधैया।
सृष्टि रंगी रघुराई के रंग में,
होरी खेले सिया रघुबर के संग में,
अवधपुरी हरशैया।।
होली..............
प्रीत के रंग से रंगा बरसाना,
होरी खेलें राधिका संग कान्हा।
लाल, गुलाबी, हरा और पीला,
सतरंगी मौसम हुआ रंगीला,
हरजाई है ये कन्हैया।।
होली....................
गिले-शिकवे मतभेद भुला के,
नेह के रंग से तन-मन रंगा के,
प्रेम फुहार बरसाए ये फगुआ,
अंचरा की डारे छैया।।
होरी खेले.............
रचयिता
डॉ0 शालिनी गुप्ता,
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय मुर्धवा,
विकास खण्ड-म्योरपुर,
जनपद-सोनभद्र।
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