विश्व गौरैया दिवस
एक दिन नन्हीं सी गौरैया,
आयी मेरे घर फुदक-फुदक।
घूम रही थी इधर-उधर,
जाने कैसे उचक-उचक।।
देखी ये प्रजाति मैंने फिर से,
जाने कितने दिनों के बाद।
बचपन में देखा था असंख्य,
जिनको बिल्कुल आजाद।।
अब भी समय है सँभल कर,
खुद पर करो नियन्त्रण।
खुद उड़ने की चाह में,
मत भूलो प्रकृति संरक्षण।।
ढूँढ़ रहे गौरैया को जैसे,
बाकी परिन्दे भी खो जाएँगे।
चलो मिलकर लें ये संकल्प,
उनको फिर वापिस ले आएँगे।।
रचयिता
पारुल चौधरी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय हरचंदपुर,
विकास क्षेत्र-खेकड़ा,
जनपद-बागपत।
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