नारी के विभिन्न रूप
नारी तो रेशम - रेशम है।
लगती वो शबनम -शबनम है।।
जीवन इक ऐसा आँगन है।
जिसमें नारी ही छम - छम है।।
नारी तो इतनी पावन है।
ज्यों काशी का बम -बम है।।
वो नर के मन -मंदिर में।
मानों दुन्दुभि का दम -दम है।।
वो ही राधा वो ही मीरा।
वो ही वंशी की सरगम है।।
उसमें मेघों की रसधारा।
और चंचला की चम - चम है।।
काली रात दूर करने को।
वो बनती पूनम - पूनम है।।
रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
जनपद-कासगंज।
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