रंगमंच
रंगमंच है ये जीवन,
नित रंग नए दिखलाता है।
बच सके ना कोई इससे,
ये सबको नाच नचाता है।
पल में आँख में आँसू लाए,
पल हमें हँसाता है।
पल में चिंता के भाव जगाए,
पल में चैन दिलाता है।
झूठे और मक्कारों की,
मक्कारी दिखलाता है।
पर्दे के पीछे छिपे झूठ को,
बेपर्दा कर जाता है।
अनदेखे अनकहे दर्द,
दुनिया के सामने लाता है।
जीवन के हर पहलू का,
सच कड़वा दिखलाता है।
नए-नए किरदारों से,
हर पल ये मंच सजाता है।
जीवन भर ये रंगमंच,
हम सबका दिल बहलाता है।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
Comments
Post a Comment