होली आई रे
प्रेमभाव और स्नेह से भरी हुई है होली,
रंगों की पिचकारी ले आई बच्चों की टोली।
चुन्नू ने पिचकारी भरकर मस्ती खूब उड़ाई,
मन्नू ने गुब्बारों से देखो उधम मचाई।।
गीता दौड़ी-दौड़ी आई, हाथों में लेकर के रंग,
सीता भी आई देखो, मीरा और दीपा के संग।
बच्चों की टोली ने आकर खूब किया धमाल,
सब बच्चों के देखो गाल पुते हैं लाल।।
शालू की मम्मी ने बनाई गुजिया और पकौड़ी,
फिर खेलेंगे होली पहले खा लो थोड़ी-थोड़ी।
हर गली में देखो बजे हैं ढोल- मृदंग,
धूम मचा कर आज करेंगे रंगों की हुड़दंग।।
मम्मी आईं, पापा आए, संग दादा जी आए,
दादी आईं, चाची आईं, संग चाचा जी आए।
और पड़ोसी सारे आए लेकर खुशी के रंग,
आओ मिलकर खेलें होली एक दूजे के संग।।
रचयिता
रविंद्र कुमार "रवि" सिरोही,
एआरपी,
विकास खण्ड-बड़ौत,
जनपद-बागपत।
Comments
Post a Comment