आओ फिर स्कूल चलें

फिर से आई रौनक

फिर से हैं स्कूल खुले।

आओ फिर स्कूल चलें

फिर से नव इतिहास गढ़ें।


हँसते हैं विद्यालय अब तो

हँसता है फिर बचपन अब तो

चेहरे पर मुस्कान है आई

फूल खिले बगिया मुस्काई।


नई किताबें सजी किताबें

सुंदर-सुंदर रची किताबें

रमा उमा ने कही कहानी

राजू मीना की बनी जुबानी।।


घन-घन है बजती घण्टी

बस्ता लेकर दौड़ी पिंकी

समय का सदा तुम रखना ध्यान

सबको गाना है राष्ट्र गान।


पहला घण्टा सामान्य ज्ञान का

दूजा फिर है हिंदी आई

तीजे में अंग्रेजी मुस्काई

गणित के समय नींद है आई।।


बहुत हुई पढ़ाई अब तो

खुशबू फैली भोजन की देखो

पेट मे चूहे दौड़ लगायें

आओ मिल कर भोजन खायें।


थोड़ा खेलो थोड़ा दौड़ो

कैरम लूडो लेकर भागो

क्रिकेट खेलते सोहन मोहन

कबड्डी में फिसड्डी है रोहन।


मध्यांतर हुआ खत्म अब

फिर से आओ करें पढ़ाई

खेल-खेल में सीखें आओ

स्थूल सूक्ष्म की नहीं लड़ाई।


हर दिन सीखो सबक नया इक

हर दिन की है नई कहानी

जीवन है एक चलती रेल

सीखो हर पल नया एक खेल।।


रचयिता

मंजरी सिंह,

प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उमरी गनेशपुर,
विकास खण्ड-रामपुर मथुरा,
जनपद-सीतापुर।



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