अंर्तराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर कदम पर इनका साथ,
हर क्षेत्र में है महिला, सरहद पर बन्दूक लिये हाथ।
घर से लेकर खेत में करती मजदूरी दिन-रात नारी,
होता है कहीं महिला सम्मान, कहीं नारी ढो रही तसला भारी।
कहलाती नारी गृह लक्ष्मी नारी से चले सृष्टि सारी,
भेदभाव हुआ नहीं खत्म, बेटी बचाओ की मुहिम है जारी।
तन पर सजे कपड़े, महँगे जेवर यह नारी किस्मत की धनी,
नारी को ईंट-भट्ठे पे देख, रहती है मेरे दिल में मायूसी बनी।
कहीं देखा मैंने हर कदम पर कामयाब है नारी,
पाया कहीं कि अस्तित्व अपना ढूँढ रही बेचारी।
नारी के लिए कोई एक दिन फिक्स नहीं होता है,
नारी हो चाहें धरती-माता उसकी गोद में जग पलता है।
रचयिता
शालिनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय बनी,
विकास खण्ड-अलीगंज,
जनपद-एटा।
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