नमन

भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरु,

   तीनों की पक्की यारी थी।

     कदम ना पीछे हटे थे उनके,

       जब फाँसी की बारी थी।


       अत्याचार सहे लाखों पर,

     हिम्मत ना तुमने हारी थी।

   बेटों का फ़र्ज़ निभाया तुमने,

भारत माता बलिहारी थी।


देख दुर्दशा भारत माता की,

   भड़की आँखों में चिंगारी थी।

      हँसते-हँसते तुम चढ़ गए सूली,

         जब तुम्हारी उमरिया बारी थी।


         रंग तीन हो तिरंगे के तुम,

     भारत माँ के सपूत महान हो।

   आन बान और शान हो तुम,

हम सबका अभिमान हो।


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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