रंगोत्सव
फाल्गुन का महीना आया,
रंगों का त्योहार है लाया।
छाने लगी चहुँओर मस्ती,
उत्साह उमंग का मौसम आया।।
उड़ने लगा रंग-बिरंगा गुलाल,
हो गए लाल गुलाबी गाल।
खेल होली एक दूजे के संग,
चेहरे कर दिए सब के लाल।।
प्रेम रंगों से भरी पिचकारी,
यारों की टोली हुई मतवाली।
गुब्बारे फूट रहे एक-दूजे पर,
होली के हुड़दंग की बात निराली।।
गुजियाँ, पकोड़े, दही-भल्ले, पापड़ी,
पेय-पदार्थों की खुशबू मन ललचाये।
खा पीकर मस्ती में झूम कर,
रस रंगत में खो जाएँ।।
मन में है, जो ईर्ष्या-द्वेष भाव,
होलिका दहन में उन्हें जलाएँ।
अपनाकर प्रेम भरे रंग जीवन में,
आओ मिलकर रंगोत्सव मनाएँ।।
रचयिता
अमित गोयल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय निवाड़ा,
विकास क्षेत्र व जनपद-बागपत।
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