विश्व जल दिवस
जल से चलता जीवन, बात ये जिसने जानी,
इस पृथ्वी पर उससे बड़ा ना होगा कोई ज्ञानी।
बेवजह न बहाओ जल,
भावी पीढ़ी को क्या दे पाओगे कल।
जल न बचा गर इस धारा पे,
कंक्रीट के महल भी ढह जाएँगे, बिन साँसों के।
बढ़ते प्रदूषण से बढ़ रही ग्लोबल वॉर्मिंग,
वन कटान न बंद किए तो
ज्यादा आबादी, कमी पानी की,
वजह बनेगी बर्बादी की।
प्रकृति और मानव में संतुलन बनाओ,
जल संसाधनों को यूँ न गँवाओ।
वृक्ष लगाओ, हरियाली बढ़ाओ,
जल स्तर को ऊँचा उठाओ।
कृषि प्रधान भारत में पैदावार ना होगी कम
जल संरक्षण के प्रति यदि जागरूक हो जाएँ हम।
रचयिता
भारती मांगलिक,
सहायक अध्यापक,
कम्पोजिट विद्यालय औरंगाबाद,
विकास खण्ड-लखावटी,
जनपद-बुलंदशहर।
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