चल दिये हम

चल दिये हम- -
 चल दिये हम।
मशालें जलाकर - -चल दिये हम।
आ गया है सुहाना- -बदलता हुआ
नया एक मौसम।
चल दिये हम।
अंधेरों से डरकर- -दिए कब बुझे हैं।
सुबह होने तक- -तिल-तिल जले हैं।
बदलती फिजाएँ- -नये रंग लेकर
जिधर चल दिये हम।
चल दिये हम।
हवाओं के रुख को- बदलना पड़ेगा।
चल रही आंधियों को- -ठहरना पड़ेगा।
हौंसले हैं लिये- -अरमान अपने।
दिलों में छलकता- -जोश हरदम।
चल दिये हम।
चमन में खिलेंगे- -बहुत फूल प्यारे।
ये नन्हें-नन्हें हमारे- -नये हैं सितारे।
आसमां की बुलंदी- -चूम लेने की।
राह इनको दिखाएँगे हम।
चल दिये हम- -
मशालें जलाकर- -दिये।
बदलता हुआ  - -एक मौसम।
 
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

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