पारिवारिक रिश्ते
पारिवारिक रिश्ते
संस्कृत और हिन्दी में
नप्तृ है नाती, पौत्र है पोता
प्रपितामही परदादी है।
आत्मज पुत्र, आत्मजा पुत्री
पितामही तो दादी है।।
पितृव्य पत्नी चाचीजी हैं।
पितृव्य पुत्र चचेरा भाई है।
पुत्रवधू है पुत्र की पत्नी
अनुजः छोटा भाई है।।
पितृव्य चाचा पतिः पति हैं
मातामह तो नाना जी।।
अग्रजा बड़ी बहन को कहते
प्रमातामहः परनाना जी।।
भ्रातृजा भतीजी स्वस् बहन
भ्रातृजः भतीजा कहलाता।
श्वसुर ससुर को कहते है
दामाद को कहते जामाता।।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
संस्कृत और हिन्दी में
नप्तृ है नाती, पौत्र है पोता
प्रपितामही परदादी है।
आत्मज पुत्र, आत्मजा पुत्री
पितामही तो दादी है।।
पितृव्य पत्नी चाचीजी हैं।
पितृव्य पुत्र चचेरा भाई है।
पुत्रवधू है पुत्र की पत्नी
अनुजः छोटा भाई है।।
पितृव्य चाचा पतिः पति हैं
मातामह तो नाना जी।।
अग्रजा बड़ी बहन को कहते
प्रमातामहः परनाना जी।।
भ्रातृजा भतीजी स्वस् बहन
भ्रातृजः भतीजा कहलाता।
श्वसुर ससुर को कहते है
दामाद को कहते जामाता।।
रचयिता
राजकुमार शर्मा,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय चित्रवार,
विकास खण्ड-मऊ,
जनपद-चित्रकूट।
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