ऐ! जिन्दगी तेरे कितने हैं रंग
ऐ! जिन्दगी तेरे कितने हैं रंग,
किसी को बना दे राजा,
किसी को रंक।
ऐ! जिन्दगी तेरे कितने हैं रंग।
कभी तो पिरोती,
कभी तो संजोती।
कभी तो खुशी दे,
कभी गम की झोली,
उम्मीदों पर जीती दुनिया के जन।
ऐ! जिंदगी तेरे ...........
किसी को हँसाये,
किसी को रूलाये।
किसी के लिए हसीन दुनिया सजाये,
किसी को दर-दर की ठोकर खिलाये।
किसी को मिला खुशियों का संग ।
ऐ! जिंदगी तेरे................
कोई दो टूक रोटी को तरसे,
कोई रोटी का मोल न समझे।
किसी को सुलाती तुम शूल की शैय्या,
कोई मखमली का कद् न समझे।
छोटे से जीवन में कितनी हैं जंग।
ऐ! जिंदगी तेरे ..................
भावों भरा है सफर ये तुम्हारा,
जिसमें बस न चलता हमारा,
सभी को खुशी दो, रहे खुश हरपल,
कभी गम न आये, न कोई बाधा,
सबकी ख्वाहिश है उड़ती पतंग ।
ऐ! जिन्दगी तेरे.................
रचयिता
बिधु सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
किसी को बना दे राजा,
किसी को रंक।
ऐ! जिन्दगी तेरे कितने हैं रंग।
कभी तो पिरोती,
कभी तो संजोती।
कभी तो खुशी दे,
कभी गम की झोली,
उम्मीदों पर जीती दुनिया के जन।
ऐ! जिंदगी तेरे ...........
किसी को हँसाये,
किसी को रूलाये।
किसी के लिए हसीन दुनिया सजाये,
किसी को दर-दर की ठोकर खिलाये।
किसी को मिला खुशियों का संग ।
ऐ! जिंदगी तेरे................
कोई दो टूक रोटी को तरसे,
कोई रोटी का मोल न समझे।
किसी को सुलाती तुम शूल की शैय्या,
कोई मखमली का कद् न समझे।
छोटे से जीवन में कितनी हैं जंग।
ऐ! जिंदगी तेरे ..................
भावों भरा है सफर ये तुम्हारा,
जिसमें बस न चलता हमारा,
सभी को खुशी दो, रहे खुश हरपल,
कभी गम न आये, न कोई बाधा,
सबकी ख्वाहिश है उड़ती पतंग ।
ऐ! जिन्दगी तेरे.................
रचयिता
बिधु सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी,
विकास खण्ड-बिसरख,
जनपद-गौतमबुद्धनगर।
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