बेटियों का मान

बेटियों का मान हम बढ़ायेंगे।
नई दुनिया उन्हें भी दिखायेंगे।।
   उनका भी है अधिकार यहाँ पर,
    माता पिता का दुलार जहाँ पर।
वही तो बढ़ाती हैं आगे वंश को,
फिर क्यों झेलतीं, बेचारी दंश को?
    बेटी बचायेंगे, उन्हें भी पढ़ायेंगे।
    विद्यालय में नाम लिखवायेंगे।।
सच कर देती हैं सपने बेटियाँ।
बेटों से कभी नहीं कम बेटियाँ।
 हर क्षेत्र में अपनी लोहा मनवातीं,
  कभी संकटों से नहीं हैं घबरातीं।
पढ़कर वे आत्मनिर्भर हो जातीं,
माँ बाप का चिन्ता दूर हो जाती।
   किरण बेदी, कल्पना व सानिया,
  इन्दिरा, मेरीकॉम और हैं सायना।
बराबर निभाती हैं भागीदारी,
हर मोड़ पर सम्भालें जिम्मेदारी।
 कल तक जो बोझ समझी जातीं
 अब तो सारे घर के खर्चे चलातीं।
बेटों सा अवसर उन्हें दिलायेंगे।
उन्हें भी आगे अफसर बनायेंगे।।
           
रचयिता
रवीन्द्र शर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय बसवार,
विकास क्षेत्र-परतावल,
जनपद-महराजगंज,उ०प्र०।

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