मात्रा गीत
आज सबक है मात्रा का
बच्चों करना इनको याद,
ध्यान लगा इन पर तो
खुद को फिर दोगे दाद,
मात्रा "अ" हो गयी खाली
दूध ख़त्म गिरी प्याली,
"आ" से डंडा है खड़ा
बँधी गाय वहाँ मतवाली,
छोटी मात्रा "इ" की देखो
लिये चिट्ठी उड़ाती खिल्ली,
दाँत भींच "ई" जब निकली
खड़ी छड़ी से उड़ी तित्तली,
होंठ निकालो बोलो "उ"
सोती गुनगुन जुगनू जागा,
दम लगा फिर निकला "ऊ"
आलू कचालू भालू भागा,
"ऋ" ऋषि बैठे ध्यान में
वृक्ष के नीचे इनको पाया,
नीचे लटके थोड़े से
अर्धवृत्त हो जैसे बनाया,
"ए" से एड़ी सहती भार
शेर ढेर मेघ गरजे बरसे,
मुँह फैला कर "ऐ" है निकला
खैर मनाता बैरी डरके,
"ओ" ओखली मसाला कूटे
रोना धोना कोरा सोना,
मुख सलौना "औ" औरत रूठे
पौना बौना टूटा खिलौना,
"अं" बोलो तंग नाक से
जंग बुरी खाओ अंगूर,
"अ:" निकलता स्वास बाहर
अंतःकरण करता दुःख दूर।
रचयिता
योगेश कुमार,
सहायक अध्यापक,
नंगला काशी
विकास खण्ड-धौलाना,
जनपद-हापुड़।
बच्चों करना इनको याद,
ध्यान लगा इन पर तो
खुद को फिर दोगे दाद,
मात्रा "अ" हो गयी खाली
दूध ख़त्म गिरी प्याली,
"आ" से डंडा है खड़ा
बँधी गाय वहाँ मतवाली,
छोटी मात्रा "इ" की देखो
लिये चिट्ठी उड़ाती खिल्ली,
दाँत भींच "ई" जब निकली
खड़ी छड़ी से उड़ी तित्तली,
होंठ निकालो बोलो "उ"
सोती गुनगुन जुगनू जागा,
दम लगा फिर निकला "ऊ"
आलू कचालू भालू भागा,
"ऋ" ऋषि बैठे ध्यान में
वृक्ष के नीचे इनको पाया,
नीचे लटके थोड़े से
अर्धवृत्त हो जैसे बनाया,
"ए" से एड़ी सहती भार
शेर ढेर मेघ गरजे बरसे,
मुँह फैला कर "ऐ" है निकला
खैर मनाता बैरी डरके,
"ओ" ओखली मसाला कूटे
रोना धोना कोरा सोना,
मुख सलौना "औ" औरत रूठे
पौना बौना टूटा खिलौना,
"अं" बोलो तंग नाक से
जंग बुरी खाओ अंगूर,
"अ:" निकलता स्वास बाहर
अंतःकरण करता दुःख दूर।
रचयिता
योगेश कुमार,
सहायक अध्यापक,
नंगला काशी
विकास खण्ड-धौलाना,
जनपद-हापुड़।
Very good 👍
ReplyDeleteशिक्षाप्रद
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