आशाओं के दीप जलेंगे
आशाओं के दीप जलेंगे
नये-नये से फूल खिलेंगे
नया देश संसार रचेंगे
मिलकर ऐसा काम करेंगे।
धरती में जीवन रोपेंगे
नयी-नयी सी आस भरेंगे
नये-नये कोपल निकलेंगे
मन में नित उल्लास भरेंगे।
संघर्षों से नहीं डरेंगे
मिलकर हर तम दूर करेंगे
कठिन डगर पर नहीं रूकेंगे
आगे-आगे कदम बढ़ेंगे।
नाज करे जग, मिलकर ऐसा काम करेंगे
दुनिया में अब एक नया इतिहास रचेंगे
आशान्वित होकर नित नया विधान रचेंगे
आशाओं के दीप जलेंगे, दीप जलेंगे।
रचयिता
डॉ0 रंजना वर्मा,
प्राथमिक विद्यालय बूढ़ाडीह-1,
विकास खण्ड-भटहट,
जनपद-गोरखपुर।
नये-नये से फूल खिलेंगे
नया देश संसार रचेंगे
मिलकर ऐसा काम करेंगे।
धरती में जीवन रोपेंगे
नयी-नयी सी आस भरेंगे
नये-नये कोपल निकलेंगे
मन में नित उल्लास भरेंगे।
संघर्षों से नहीं डरेंगे
मिलकर हर तम दूर करेंगे
कठिन डगर पर नहीं रूकेंगे
आगे-आगे कदम बढ़ेंगे।
नाज करे जग, मिलकर ऐसा काम करेंगे
दुनिया में अब एक नया इतिहास रचेंगे
आशान्वित होकर नित नया विधान रचेंगे
आशाओं के दीप जलेंगे, दीप जलेंगे।
रचयिता
डॉ0 रंजना वर्मा,
प्राथमिक विद्यालय बूढ़ाडीह-1,
विकास खण्ड-भटहट,
जनपद-गोरखपुर।
प्रणम्य,सुन्दर भाव,प्रशंसनीय।
ReplyDeleteजलेंगे,तिमिर हरेंगे ।
उज्जवल उज्जवल से,
झिलमिल बिन्दु झरेंगे।
जीवन के मोती जैसे,
अभिनव रूप.खिलेंगे।
सुन्दर रचना
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