मीज़िल्स रूबेला

आओ बच्चों तुम्हें बतायें होता क्या मीज़िल्स रूबेला.....
क्या होते हैं लक्षण इसके और कैसे संक्रमण है होता।

आओ मुन्नी...आओ गुड्डी ... राजू, पिंकी तुम भी आओ,
आओ मम्मी....आओ पापा, दादी, चाची सब आ जाओ।
ध्यान लगाकर सब सुन लो एक बात पते की बतलाता हूँ,

रूबेला- जर्मन मीजिल्स या तीन- दिनी मीजिल्स भी कहलाता है।
संक्रमण फैलता है वायरस द्वारा, घावों से पहचाना जाता है,
अलग तरह के हल्के गुलाबी घाव देह पर बनाता है।
त्वचा का ह्रास, तीव्र सिरदर्द, गर्दन जकड़ सी जाती है,
दृष्टि सम्बन्धी समस्या के संग तीव्र ज्वर भी हो जाता है।
कभी- कभी ये रक्तस्राव और कान दर्द भी दे जाता है,
लसिका ग्रन्थि प्रभावित करके शीघ्रता से संक्रमित कर जाता है।
अर्जित और जन्मजात रूबेला, दो प्रकार का ये होता है,
संक्रमित व्यक्तियों से उत्सर्जित कण जब मिल मल-मूत्र में जाते हैं,
या छींकने - खाँसने से ऊपरी त्वचा में उपस्थित हो जाते हैं।
तब यह व्यक्ति को संक्रमित कर अपना शिकार बनाता है,
गर्भवती से शिशु में प्रसारित जन्मजात रूबेला कहलाता है।
ऐसे लक्षण जब किसी मानव में परिलिक्षित हो जाएँ,
बिस्तर पर आराम करें पूर्ण, वो पानी अधिक से अधिक पिये।
सूजी ग्रन्थियों को नम तौलिये का प्रयोग कर नम्र करें,
घाव यदि खुजलीयुक्त हों तो कैलामिन लोशन का प्रयोग करें।
विकट स्थिति यदि उत्पन्न हो जाए तो डॉक्टर को तुरन्त दिखाएँ,
उचित सलाह और देख-रेख से रोगी की हम जान बचायें।
सबसे अच्छा....  रोग न हो तो बात हमारी मानो एक....,
एमएमआर और एमएमवी टीके लगवाओ होकर एक।
आओ मिल संकल्प करें कि टीकाकरण कराना है ,
हर नन्हें मुन्ने से बड़े को मीजिल्स रूबेला से बचाना है।।

रचयिता
सुप्रिया सिंह,
इं0 प्र0 अ0,
प्राथमिक विद्यालय-बनियामऊ 1,
विकास क्षेत्र-मछरेहटा,
जनपद-सीतापुर।

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